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वीडियो जानकारी: 25.01.24, वेदांत संहिता, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने भावनाओं और विचारों के बीच के अंतर को स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि भावनाएं अक्सर व्यक्ति को नियंत्रित करती हैं और ये सुनामी की तरह आती हैं, जिससे खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। आचार्य जी ने यह भी कहा कि सही कार्य करने के लिए भावनाओं के विरुद्ध जाना आवश्यक है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इंसान की पहचान उसके विचारों से होती है, न कि उसकी भावनाओं से। भावनाएं पशुता की ओर ले जाती हैं, जबकि विचार और समझ इंसानियत की पहचान हैं। आचार्य जी ने बताया कि प्रेम का संबंध चेतना से है, जबकि भावना केवल एक प्रतिक्रिया है।
इस प्रकार, आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को अपनी भावनाओं को पहचानना और उन्हें नियंत्रित करना आवश्यक है।
प्रसंग:
~ कैसे जानें कि ज़िन्दगी बेहतर हुई कि नहीं?
~ क्या ज़िन्दगी ही प्रमाण होती है?
~ ज़िन्दगी बेहतर कैसे बनाएँ?
~ कैसे जानें कि साधना से लाभ हो रहा है या नहीं?
~ साधना से जीवन कैसे बदलता है?
संगीत: मिलिंद दाते
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